शिव चालीसा

शिव चालीसा | Shiv Chalisa

शिव चालीसा

शिव चालीसा एक हिन्दू धार्मिक प्रणाम-स्तुति है जो भगवान शिव की महिमा और गुणों की स्तुति करती है। यह चालीसा शिव भक्ति में आराध्य है और उनकी आराधना में प्रयुक्त होती है।

शिव चालीसा को पढ़कर व्यक्ति शिव की कृपा, आशीर्वाद, और सुरक्षा प्राप्त करने का इच्छुक होता है।

भगवान शिव, हिन्दू धर्म में त्रिदेवों में एक महत्त्वपूर्ण देवता हैं। वे ब्रह्मा, विष्णु और महेश (रुद्र) के त्रिमूर्ति के तीनें रूपों में होते हैं। शिव का एक अन्य प्रसिद्ध नाम रुद्र भी है, जो उनके रौद्र स्वभाव को दर्शाता है।

शिव चालीसा Lyrics | Shiv Chalisa Lyrics in Hindi

।।दोहा।।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।।

।।चौपाई।।

जय गिरिजा पति दीन दयाला।

सदा करत संतन प्रतिपाला।।

भाल चंद्रमा सोहत नीके।

कानन कुंडल नागफनी के।।

अंग गौर शिर गंग बहाये।

मुंडमाल तन छार लगाये।।

वस्त्र खाल बाघंबर सोहे।

छवि को देख नाग मुनि मोहे।।

मैना मातु की ह्वै दुलारी।

बाम अंग सोहत छवि न्यारी।।

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।

करत सदा शत्रुन क्षयकारी।।

नंदि गणेश सोहै तहं कैसे।

सागर मध्य कमल हैं जैसे।।

कार्तिक श्याम और गणराऊ।

या छवि को कहि जात न काऊ।।

देवन जबहीं जाय पुकारा।

 तब ही दुख प्रभु आप निवारा।।

किया उपद्रव तारक भारी।

 देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।।

तुरत षडानन आप पठायउ।

लवनिमेष महं मारि गिरायउ।।

आप जलंधर असुर संहारा।

सुयश तुम्हार विदित संसारा।।

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।

सबहिं कृपा कर लीन बचाई।।

किया तपहिं भागीरथ भारी।

पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी।।

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं।

सेवक स्तुति करत सदाहीं।।

वेद नाम महिमा तव गाई।

अकथ अनादि भेद नहिं पाई।।

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला।

 जरे सुरासुर भये विहाला।।

कीन्ह दया तहं करी सहाई।

नीलकंठ तब नाम कहाई।।

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा।

जीत के लंक विभीषण दीन्हा।।

सहस कमल में हो रहे धारी।

कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।।

एक कमल प्रभु राखेउ जोई।

कमल नयन पूजन चहं सोई।।

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।

भये प्रसन्न दिए इच्छित वर।।

जय जय जय अनंत अविनाशी।

करत कृपा सब के घटवासी।।

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।

भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै।।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।

यहि अवसर मोहि आन उबारो।।

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।

संकट से मोहि आन उबारो।।

मातु पिता भ्राता सब कोई।

संकट में पूछत नहिं कोई।।

स्वामी एक है आस तुम्हारी।

आय हरहु अब संकट भारी।।

धन निर्धन को देत सदाहीं।

जो कोई जांचे वो फल पाहीं।।

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी।

क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।।

शंकर हो संकट के नाशन।

मंगल कारण विघ्न विनाशन।।

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।

 नारद शारद शीश नवावैं।।

नमो नमो जय नमो शिवाय।

सुर ब्रह्मादिक पार न पाय।।

जो यह पाठ करे मन लाई।

 ता पार होत है शंभु सहाई।।

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी।

 पाठ करे सो पावन हारी।।

पुत्र हीन कर इच्छा कोई।

निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।।

पंडित त्रयोदशी को लावे।

ध्यान पूर्वक होम करावे ।।

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा।

तन नहीं ताके रहे कलेशा।।

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।

शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।।

जन्म जन्म के पाप नसावे।

अन्तवास शिवपुर में पावे।।

कहे अयोध्या आस तुम्हारी।

जानि सकल दुःख हरहु हमारी।।

।।दोहा।।

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश।।

मगसर छठि हेमंत ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण।।

शिव चालीसा | GULSHAN KUMAR | HARIHARAN | Shiv Chalisa Hindi English Lyrics | Lyrical Video

Video Credits- Shiv Bhajan: Shri Shiv Chalisa Singer: Ashwani Amarnath Music Director: Ravi Bhan Lyrics: Traditional Album: Jai Girijapati Deendayala Music Label: T-Series

Shiv Chalisa Audio – शिव चालीसा लगाइए

चालीसा करने की विधि

चालीसा का पाठ करने की विधि आमतौर पर बहुत सरल होती है, लेकिन यह विधि भिन्न-भिन्न चालीसाओं और भगवानों के लिए थोड़ी सी विविधता दिखा सकती है। यहां कुछ सामान्य चरण दिए जा रहे हैं, जो आपको चालीसा के पाठ करने में मदद कर सकते हैं:

  1. ध्यान रखें: पहले तो यह ध्यान दें कि आप चालीसा को पवित्र भावना के साथ पाठ करने जा रहे हैं। आपका मन शांत होना चाहिए।
  2. पूजा और आराधना: चालीसा के पाठ से पहले भगवान की मूर्ति की पूजा और आराधना करें। आप अपनी भक्ति के अनुसार अपने इष्ट देवता की पूजा कर सकते हैं।
  3. स्थान चयन करें: चालीसा का पाठ करते समय एक शांत और पवित्र स्थान का चयन करें।
  4. माला या बुक का प्रयोग: आप चालीसा का पाठ माला के साथ कर सकते हैं या एक चालीसा की पुस्तक का उपयोग कर सकते हैं।
  5. उच्चारण: मंत्रों को ध्यानपूर्वक और सही उच्चारण के साथ पठें। मन्त्रों को सही ताल, गति, और भावना के साथ बोलें।
  6. भक्ति और श्रद्धा: चालीसा का पाठ करते समय आपकी भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि करें। अपने मन को पूरी तरह से देवता की ओर ले जाएं।
  7. ध्यान और आत्मा समर्पण: चालीसा का पाठ करते समय ध्यान केंद्रित रखें और अपनी आत्मा को भगवान को समर्पित करें।
  8. पाठ के बाद का आभास: चालीसा का पाठ करने के बाद आप शांति और आत्मा के साथ एक आभास महसूस करें।

यहीं कुछ सामान्य चरण हैं, लेकिन यदि आपकी चालीसा की पूजा किसी विशेष प्रथा का हिस्सा है, तो उसका अनुसरण करें।

शिव जी की चालीसा का पाठ कब करना चाहिए ?

शिव चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन कुछ विशेष अवस्थाएं और समय सुझाए जा सकते हैं जो इसे करने के लिए उपयुक्त होती हैं:

  1. प्रातःकाल: भगवान शिव का पूजन और चालीसा का पाठ प्रातःकाल करना विशेषकर शुभ माना जाता है। यह सारे दिन को शुभ आरंभ करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।
  2. सायंकाल: सायंकाल भी एक अच्छा समय है जब शिव चालीसा का पाठ किया जा सकता है। इस समय पर भगवान की आराधना करने से रात्रि को शांति मिलती है।
  3. महाशिवरात्रि: महाशिवरात्रि एक विशेष दिन है जब भक्त शिव चालीसा का पाठ करके भगवान की पूजा करते हैं। यह दिन शिव के पूजन का विशेष महत्व है।
  4. सोमवार: सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है। इस दिन भी शिव चालीसा का पाठ करना विशेष रूप से शुभ होता है।
  5. श्राद्ध पक्ष: अगर कोई अपने पितृदेवता की पूजा कर रहा है, तो शिव चालीसा का पाठ इस समय में भी किया जा सकता है। यह पितृदेवता को संतुष्ट करने में मदद कर सकता है।
  6. आपकी प्राथमिकतानुसार: चालीसा का पाठ करने का सही समय व्यक्ति की आपकी प्राथमिकताओं और दिनचर्या के आधार पर होता है।

समय की आपकी स्थिति और आपकी आध्यात्मिक अवस्था के आधार पर, आप शिव चालीसा का पाठ किसी भी समय कर सकते हैं, जिससे आपका मानसिक और आत्मिक विकास हो सकता है।

शिव चालीसा का पाठ कब करना चाहिए ?

शिव जी की चालीसा का पाठ प्रातःकाल और सायंकाल में, सोमवार और महाशिवरात्रि पर विशेषकर शुभ माना जाता है। इसका पाठ श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जा सकता है, जो आत्मिक शांति और देवी-देवता की कृपा को आत्मसात् करने में सहायक हो सकता है।

शिव चालीसा से क्या लाभ होता है ?

भगवान शिव की चालीसा का पाठ करने से अनेक धार्मिक और मानवता के क्षेत्र में लाभ हो सकता है. यह चालीसा भगवान शिव की महिमा, गुण, और कृपा की प्रशंसा करने के लिए उच्चारित की जाती है और इसका पाठ कई धार्मिक और सामाजिक परंपराओं में किया जाता है।

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