लक्ष्मी चालीसा

लक्ष्मी चालीसा (Lakshmi Chalisa)

लक्ष्मी चालीसा

“लक्ष्मी चालीसा” एक हिन्दी भक्ति पाठ है जो भगवान लक्ष्मी, धन की देवी, की स्तुति करने के लिए है। यह चालीसा भक्तियोग, साधकों, और लक्ष्मी माता के प्रशंसकों द्वारा प्रेम से पढ़ी जाती है। यह पाठ उन्हें आशीर्वाद, समृद्धि, और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करने का एक साधना प्रदान करता है।

लक्ष्मी जी को विष्णु की पत्नी कहा जाता है और विष्णु के साथ ही उन्हें “श्री” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है ऐश्वर्य और श्रेष्ठता। इसके अलावा, लक्ष्मी जी को देवता और लोग धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए पूजते हैं। अतः लक्ष्मी जी की चालीसा का पाठ करने के साथ विष्णु चालीसा का पाठ करने से विशेष लाभ होता है|

लक्ष्मी चालीसा Lyrics (Lakshmi Chalisa Lyrics in Hindi)

दोहा

मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास ।

मनो कामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस ॥

सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार ।

ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार ॥ टेक ॥

श्री लक्ष्मी चालीसा

सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही ।

ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि ॥

तुम समान नहिं कोई उपकारी ।

सब विधि पुरबहु आस हमारी ॥

जै जै जगत जननि जगदम्बा ।

सबके तुमही हो स्वलम्बा ॥

तुम ही हो घट घट के वासी ।

विनती यही हमारी खासी ॥

जग जननी जय सिन्धु कुमारी ।

दीनन की तुम हो हितकारी ॥

विनवौं नित्य तुमहिं महारानी ।

कृपा करौ जग जननि भवानी ॥

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी ।

सुधि लीजै अपराध बिसारी ॥

कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी ।

जगत जननि विनती सुन मोरी ॥

ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता ।

संकट हरो हमारी माता ॥

क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो ।

चौदह रत्न सिंधु में पायो ॥

चौदह रत्न में तुम सुखरासी ।

सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी ॥

जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा ।

रूप बदल तहं सेवा कीन्हा ॥

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा ।

लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा ॥

तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं ।

सेवा कियो हृदय पुलकाहीं ॥

अपनायो तोहि अन्तर्यामी ।

विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी ॥

तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी ।

कहँ तक महिमा कहौं बखानी ॥

मन क्रम वचन करै सेवकाई ।

मन-इच्छित वांछित फल पाई ॥

तजि छल कपट और चतुराई ।

पूजहिं विविध भाँति मन लाई ॥

और हाल मैं कहौं बुझाई ।

जो यह पाठ करे मन लाई ॥

ताको कोई कष्ट न होई ।

मन इच्छित फल पावै फल सोई ॥

त्राहि-त्राहि जय दुःख निवारिणी ।

त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि ॥

जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे ।

इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै ॥

ताको कोई न रोग सतावै ।

पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै ॥

पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना ।

अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना ॥

विप्र बोलाय कै पाठ करावै ।

शंका दिल में कभी न लावै ॥

पाठ करावै दिन चालीसा ।

ता पर कृपा करैं गौरीसा ॥

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै ।

कमी नहीं काहू की आवै ॥

बारह मास करै जो पूजा ।

तेहि सम धन्य और नहिं दूजा ॥

प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं ।

उन सम कोई जग में नाहिं ॥

बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई ।

लेय परीक्षा ध्यान लगाई ॥

करि विश्वास करैं व्रत नेमा ।

होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा ॥

जय जय जय लक्ष्मी महारानी ।

सब में व्यापित जो गुण खानी ॥

तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं ।

तुम सम कोउ दयाल कहूँ नाहीं ॥

मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै ।

संकट काटि भक्ति मोहि दीजे ॥

भूल चूक करी क्षमा हमारी ।

दर्शन दीजै दशा निहारी ॥

बिन दरशन व्याकुल अधिकारी ।

तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी ॥

नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में ।

सब जानत हो अपने मन में ॥

रूप चतुर्भुज करके धारण ।

कष्ट मोर अब करहु निवारण ॥

कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई ।

ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई ॥

रामदास अब कहै पुकारी ।

करो दूर तुम विपति हमारी ॥

दोहा

त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास ।

जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश ॥

रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर ।

मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर ॥

Lakshmi Chalisa with Lyrics By Anuradha Paudwal | Sampoorna Mahalaxmi Poojan (Lakshmi Chalisa वीडियो)

Video Credits- Devi Bhajan: Lakshmi Chalisa Singer: Anuradha Paudwal Graphics By: Sanjeev Soni Album: Sampoorna Mahalaxmi Poojan Composer: Shekhar Sen Label: T-Series

Lakshmi Chalisa Audio – लक्ष्मी चालीसा लगाइए

लक्ष्मी चालीसा पाठ करने की विधि

चालीसा पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जा सकता है:

  1. पूजा के लिए साज सजाएं:
    • शुभ मुहूर्त चुनें और एक शांत, सुरक्षित स्थान चयन करें जहां पूजा की जा सकती है।
    • लक्ष्मी माता की मूर्ति, या तस्वीर, को स्थान करें।
  2. शुद्धि की अवस्था में रहें:
    • हाथ धोकर और शुद्ध कपड़े पहनकर पूजा करें।
  3. ध्यान में रहें:
    • माता लक्ष्मी की मूर्ति को देखकर ध्यान में रहें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
  4. ॐ के साथ आरंभ करें:
    • “ॐ” का उच्चारण करें और फिर “श्री गणेशाय नमः” के मंत्र से पूजा की शुरुआत करें।
  5. लक्ष्मी चालीसा का पाठ:
    • लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें, भक्ति भाव से और समझकर।
  6. आरती करें:
    • लक्ष्मी माता की आरती गाएं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए दीपक जलाएं।
  7. मन्त्र और स्तोत्र पठन:
    • लक्ष्मी माता के मंत्र और स्तोत्रों का पाठ करें, जैसे “श्री सूक्त” या “महालक्ष्मी अष्टकम”।
  8. समापन:
    • पूजा का समापन करें, माता लक्ष्मी को धन्यवाद दें और उनसे आशीर्वाद मांगें।
  9. भोग और प्रसाद:
    • माता लक्ष्मी के लिए भोग और प्रसाद रखें और उन्हें समर्पित करें।
  10. नियमितता बनाएं:
  • लक्ष्मी चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से लाभ हो सकता है, विशेषकर व्रतों और त्योहारों में।

ध्यान रखें कि पूजा की विधि विभिन्न स्थानों और परंपराओं के अनुसार बदल सकती है, इसलिए स्थानीय पूजा आचार्य या पंडित से सलाह लें।

लक्ष्मी माता को भोग में लगाएं

लक्ष्मी माता को भोग अर्पित करना हिन्दू धर्म में एक पूजा और आराधना का महत्वपूर्ण हिस्सा है। भोग उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए समर्पित होता है। यहां कुछ भोग के आदान-प्रदान दिए जा रहे हैं, लेकिन ध्यान रखें कि यह बदल सकता है और स्थानीय सांस्कृतिक और परंपरागत अनुसार विभिन्न भोगों का चयन किया जा सकता है:

  1. नैवेद्य (आहार): दाल, चावल, साबुत मूँग, रोटी, शाकाहारी सब्जियाँ, और फल जैसे सात्विक आहार को लक्ष्मी माता के लिए नैवेद्य के रूप में चढ़ाया जा सकता है।
  2. मिठाईयाँ: केसरी, पेड़ा, लड्डू, बर्फी, और अन्य मिठाईयाँ भी उनकी पूजा के लिए अर्पित की जा सकती हैं।
  3. फल: सीजन के अनुसार विभिन्न फलों को भी लक्ष्मी माता के लिए चढ़ाया जा सकता है। आम, नारियल, खजूर, और केला कुछ उदाहरण हो सकते हैं।
  4. दूध और दूध से बनी चीजें: केसर दूध, पायस, और खीर जैसी दूध से बनी चीजें भी चढ़ाई जा सकती हैं।
  5. गुड़ और तिल: गुड़ और तिल का लड्डू या बर्फी भी उनकी पूजा के लिए अच्छा होता है।
  6. नारियल पानी: नारियल पानी भी उनकी पूजा के लिए उपयोगी हो सकता है।
  7. पूजा सामग्री: कुमकुम, हल्दी, अदरक, गुड़, फूल, और बिल्व पत्तियाँ भी पूजा के लिए अर्पित की जा सकती हैं।

यदि आप किसी विशेष परंपरागत पूजा विधि का पालन कर रहे हैं, तो स्थानीय समुदाय के पुरोहित या धार्मिक आचार्य से सलाह लेना उचित है।

लक्ष्मी चालीसा का पाठ कब करनी चाहिए ?

“लक्ष्मी चालीसा” का पाठ विशेष रूप से लक्ष्मी माता की पूजा और आराधना के समय किया जाता है। इस चालीसा का पाठ करने से भक्त लक्ष्मी माता की कृपा, धन, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करता है।

लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होता है ?

लक्ष्मी जी की चालीसा का पाठ करने से भक्तों को माँ लक्ष्मी की कृपा, आशीर्वाद, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है, जो विशेष रूप से धन, समृद्धि, और सौभाग्य के क्षेत्र में अनुभव हो सकती है।

लक्ष्मी चालीसा पाठ में भोग क्या लगाएं ?

Lakshmi Chalisa Bhog

लक्ष्मी माता को पूजन के दौरान भोग अर्पित करना हिन्दू धर्म में एक प्रमुख परंपरागत प्रक्रिया है। फल, दूध और दूध से बनी चीजें, चावल और दाल, सुगंधित फूल, नारियल पानी, मिठाईयाँ आदि भोग उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए समर्पित होता है।

लक्ष्मी जी को कौन से फूल चढ़ाएं?

Lakshmi Chalisa Lotus

लक्ष्मी माता को विभिन्न प्रकार के फूल, सुगंधित फूल, विशेषकर गुलाब और कमल के फूल, समर्पित किए जा सकते हैं। भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ लक्ष्मी माता के लिए इन फूलों को चढ़ाते हैं।

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