कुबेर जी की आरती | Kuber Ji Ki Aarti
कुबेर जी की आरती, उनकी पूजा के समय भक्तों द्वारा गाई जाती है। यह आरती धन के देवता कुबेर की महत्ता को बयान करती है। कुबेर भगवान हिंदू धर्म में धन के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। वे धन और समृद्धि के देवता के रूप में माने जाते हैं और उन्हें धन का पालक माना जाता है।
कुबेर, राजा वैस्वानर के पुत्र हैं और उन्हें लंका नगर का भी राजा कहा जाता है।कुबेर को वैश्रवण भी कहा जाता है और वे हिंदू धर्म में दिव्य यक्ष भी हैं।
विशेषकर धनतेरस और दिवाली के पावन दिनों पर माँ लक्ष्मी और भगवन गणेश जी के साथ साथ कुबेर जी की भी पूजा की जाती है।
कुबेर जी की आरती Lyrics | Kuber Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi
ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे।
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े ॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करे॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी,
मनवांछित फल पावे।
॥ इति श्री कुबेर आरती ॥
Kuber Ji Ki Aarti | Lord Kuber Aarti with Lyrics | आरती श्री कुबेर जी की Video Lyrics
Video Credits- Song: Kuber Aarti Singer: Varsha Srivastava Music Director: Vijay Nanda Lyricist: Traditional
Kuber Ji aarti Audio – कुबेर भगवान की आरती लगाइए
आरती करने की विधि
आरती करने से पहले आरती करने की सब सामग्री एकत्रित कर लीजिये। एक थाली में आरती का दिया रख कर उसमे शुद्ध कपास यानि रुई से बत्ती बना कर शुद्ध घी से दिए को बना लें। यदि शुद्ध घी उपलब्ध न हो तो तेल का प्रयोग करके आरती का दिया बना लें। इसके अलावा शुद्ध कपूर से भी आरती की जा सकती है।
आरती की थाली में पुष्प यानि फूल और भोग लगाए जाने वाले फल या मिष्ठान को भी रख सकते हैं। आरती शुरू करने से पहले शंख वादन करें। शंख की ध्वनि से वातावरण शुद्ध हो जाता है और तत्पश्चात आरती एवं पूजन करने से विशेष लाभ होता है।
आरती का उच्चारण करते समय थाली को घड़ी के कांटो की डिश में घुमाएं और भगवान् को आरती वंदना अर्पित करें। आरती का उच्चारण शुद्ध करें। हर शब्द का सही उच्चारण करे। आरती करने के साथ साथ घंटी बजाएं और आरती करने के पश्चात सभी भक्तों को आरती की थाली का दर्शन कराएं एवं भोग लगये हुए प्रसाद का वितरण करे।
कुबेर जी की आरती कब करनी चाहिए ?
कुबेर भगवान की आरती का पाठ विशेष रूप से बुधवार (Wednesday) को किया जाता है। कुबेर जी हिन्दू धर्म में धन के देवता के रूप में पूजे जाते हैं और उनकी पूजा, आरती, और मन्त्रजाप से धन और समृद्धि की प्राप्ति की जाती है।
कुबेर जी की आरती करने से क्या लाभ होता है ?
भगवान कुबेर जी आरती का पाठ करने से विशेष रूप से धन और समृद्धि की प्राप्ति होने की आशा की जाती है, क्योंकि कुबेर वेताल (धन के देवता) माने जाते हैं। कुबेर धन के स्वामी और वित्तीय समृद्धि के प्रमुख देवता हैं। इसलिए, उनकी आरती का पाठ करने से भक्तों को आर्थिक सफलता और सुख-शांति की प्राप्ति होने की प्रतीति होती है।
कुबेर जी की आरती में भोग क्या लगाएं ?
कुबेर भगवान की आरती में भोग लगाना हिन्दू धर्म में एक पूजा प्रथा है जिससे भक्त अपनी भक्ति और प्रेम का अर्पण करता है। आरती में भोग रखना एक उपास्य देवता के प्रति भक्ति और आदर का अभिव्यक्ति है।
कुबेर जी की आरती में आमतौर पर धन के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए धन से संबंधित भोग रखा जाता है। यह भोग सामान्यत: स्वीट्स, फल, नट्स, द्रव्य, और फूलों से समृद्ध होता है।