अंबे जी की आरती

अंबे जी की आरती (Ambe Ji Ki Aarti)

अंबे जी की आरती

“अंबे जी की आरती” मां अम्बा या दुर्गा माता की पूजा में उपयोग होने वाली एक प्रार्थना है। यह आरती मां दुर्गा की महिमा को गाने और उन्हें पूजने का एक अद्वितीय तरीका है।
“अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली” एक प्रसिद्ध हिन्दी भजन है जो मां दुर्गा की महिमा को गाता है और उन्हें पूजने का आदर दर्शाता है। यह भजन नवरात्रि और दुर्गा पूजा के दौरान बहुत पसंद किया जाता है।

आरती के छंदों में गाया जाता है और यह पूजा के अवसरों पर ध्यानपूर्वक बोली जाती है। आरती के विभिन्न स्वरूप और रूपांतरण भी होते हैं, लेकिन मूल आरती में माँ दुर्गा की उनकी महिमा, शक्ति, और कृपा का वर्णन होता है।

अंबे जी की आरती Lyrics | Ambe Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

तेरे भक्त जनो पर माता भीड़ पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पडो माँ करके सिंह सवारी॥
तेरे भक्त जनो पर माता भीड़ पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पडो माँ करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

माँ-बेटे का है इस जग मे बडा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
माँ-बेटे का है इस जग मे बडा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखडे निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे मन में छोटा सा कोना॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे मन में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को सवांरती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

Ambe Tu Hai Jagdambe Kali Lyrics By Anuradha Paudwal [Full Video Song]

Video Credits- Album Name: Chalisa Sangrah Singer: Anuradha Paudwal Composer: Shekhar Sen Author: Traditional

Ambe Tu Hai Jagdambe Kali Audio – अम्बे तू है जगदम्बे काली Audio

आरती करने की विधि

आरती करने से पहले आरती करने की सब सामग्री एकत्रित कर लीजिये। एक थाली में आरती का दिया रख कर उसमे शुद्ध कपास यानि रुई से बत्ती बना कर शुद्ध घी से दिए को बना लें। यदि शुद्ध घी उपलब्ध न हो तो तेल का प्रयोग करके आरती का दिया बना लें। इसके अलावा शुद्ध कपूर से भी आरती की जा सकती है।

आरती की थाली में पुष्प यानि फूल और भोग लगाए जाने वाले फल या मिष्ठान को भी रख सकते हैं। आरती शुरू करने से पहले शंख वादन करें। शंख की ध्वनि से वातावरण शुद्ध हो जाता है और तत्पश्चात आरती एवं पूजन करने से विशेष लाभ होता है।

आरती का उच्चारण करते समय थाली को घड़ी के कांटो की डिश में घुमाएं और भगवान् को आरती वंदना अर्पित करें। आरती का उच्चारण शुद्ध करें। हर शब्द का सही उच्चारण करे। आरती करने के साथ साथ घंटी बजाएं और आरती करने के पश्चात सभी भक्तों को आरती की थाली का दर्शन कराएं एवं भोग लगये हुए प्रसाद का वितरण करे।

माँ अम्बे के बारे में

माँ अम्बे, हिन्दू संस्कृति में एक प्रमुख देवी रूप है जो माँ दुर्गा के स्वरूप में पूजी जाती है। उनका नाम अम्बे और अंबा दोनों ही प्रचलित हैं और इन नामों का अर्थ “माँ” या “माता” होता है। माँ अम्बे को विभिन्न शक्तियों के साथ जोड़कर नवरात्रि के नौ दिनों के रूपों में पूजा जाता है, और उनका पूजन भक्तों को शक्ति, सुरक्षा, और सफलता की प्राप्ति में सहायक करता है।

माँ अम्बे का प्राचीन इतिहास है और उनका सामंजस्यपूर्ण साकार चित्रण विभिन्न पुराणों और ग्रंथों में मिलता है। उन्हें ब्रह्मा, विष्णु, और शिव की शक्ति के स्वरूप में पूजा जाता है और वे सृष्टि, स्थिति, और संहार की देवी मानी जाती हैं। उनकी सार्वभौम शक्ति का चित्रण कई पुराणों में है, और उन्हें महाकाली, महालक्ष्मी, और महासरस्वती के साथ जोड़कर “त्रिदेवी” कहा जाता है।

नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान, जिन्हें नवरात्रि कहा जाता है, माँ अम्बे को नौ रूपों में पूजा जाता है। ये रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री हैं। प्रतिदिन एक रूप की पूजा के साथ ही आरती और भजन भी समर्पित किए जाते हैं। नवमी दिन को “महानवमी” कहा जाता है, जिसमें यजमानों द्वारा कन्या पूजा भी की जाती है।

“अंबे जी की आरती” उन्हें प्रशंसा और आराधना के लिए समर्पित है। इस आरती में माँ अम्बे की महिमा, कृपा, और शक्तियों का गाना होता है और भक्तों को उनकी आशीर्वाद प्राप्ति की कामना की जाती है। भक्तों द्वारा इस आरती का पाठ करने से उन्हें शांति, सुरक्षा, और माँ के कृपा से आद्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।

माँ अम्बे की कृपा और आशीर्वाद के लिए भक्तों का सदैव आराधना में लगाव बना रहता है। वे अपने भक्तों की समस्त कष्टों को दूर करने, सुख-शांति और सफलता प्रदान करने में सहायक हैं। माँ अम्बे के भक्तों के लिए वह सर्वोत्तम माता है जो उन्हें अपनी शरण में लेकर सुरक्षित रखती हैं और उन्हें सभी दुःखों से मुक्ति प्रदान करती हैं।

अंबे जी की आरती कब करना चाहिए ?

“अंबे जी की आरती” का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान, दुर्गा पूजा के अवसर पर और माँ दुर्गा की पूजा में किया जाता है। सुबह और सायंकाल में इस आरती का पाठ करने से भक्तों को आनंद, शांति, और माँ दुर्गा के कृपाशील सानिध्य का अनुभव हो सकता है। इससे भक्ति और ध्यान में लगाव बढ़ता है, जो जीवन को सकारात्मक दिशा में प्रवृत्ति कर सकता है।

अंबे जी की आरती से क्या लाभ होता है ?

“अंबे जी की आरती” का पाठ करने से भक्तों को माँ दुर्गा के प्रति श्रद्धा और भक्ति में वृद्धि होती है। यह आरती पूजन में एक शांतिपूर्ण और प्रेरणादायक माहौल बनाती है और आत्मिक शक्ति और समर्थन की प्राप्ति में मदद करती है। इसका नियमित पाठ करने से सुख, समृद्धि, और आत्मिक उन्नति का अनुभव हो सकता है।

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