साईं बाबा की आरती (Sai Baba Ki Aarti)
“श्री साईं बाबा की आरती” साईं बाबा की पूजा और भक्ति में उपयोग होने वाली एक प्रमुख आरती है। यह आरती भक्तों द्वारा साईं बाबा की पूजा में प्रतिदिन संध्या काल में की जाती है और उनके दिव्य रूप, कृपा, और आशीर्वाद की स्तुति करती है।
साईं बाबा का आश्रम शिरडी नामक स्थान पर है, जहां उन्होंने अपने चमत्कारिक और दिव्य कार्यों के माध्यम से लाखों लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन किया। साईं बाबा ने सभी धर्मों को समाहित किया और समाज में से भेदभाव को दूर करने के लिए काम किया। उनकी उपदेशों में श्रद्धा, सहानुभूति, और सेवा का महत्व बताया गया। साईं बाबा के भक्तों के बीच में उनकी महासमाधि के बाद भी उनका आदर और भक्ति बनी रही है।
साईं बाबा की आरती Lyrics (Sai Baba Ki Aarti Lyrics)
आरती साईबाबा।
सौख्यदातारा जीवा।
चरणरजतळीं निज दासां विसावां।
भक्तां विसावा॥धृ॥
जाळुनियां अनंग।
स्वस्वरुपी राहे दंग।
मुमुक्षुजना दावी।
निजडोळां श्रीरंग॥१॥
जया मनीं जैसा भाव।
तया तैसा अनुभव।
दाविसी दयाघना।
ऐसी ही तुझी माव॥२॥
तुमचें नाम ध्यातां।
हरे संसृतिव्यथा।
अगाध तव करणी।
मार्ग दाविसी अनाथा॥३॥
कलियुगीं अवतार।
सगुणब्रह्म साचार।
अवतीर्ण झालासे।
स्वामी दत्त दिगंबर॥४॥
आठा दिवसां गुरुवारी।
भक्त करिती वारी।
प्रभुपद पहावया।
भवभय निवारी॥५॥
माझा निजद्रव्य ठेवा।
तव चरणसेवा।
मागणें हेंचि आता।
तुम्हा देवाधिदेवा॥६॥
इच्छित दीन चातक।
निर्मळ तोय निजसुख।
पाजावें माधवा या।
सांभाळ आपुली भाक॥७॥
Shirdi Sai baba Dhooparti Aarti Lyrics Video Song साईं की आरती Lyrics Video
Video Credits – Track – Saibaba Dhoop Aarti Album – Jai Jai Sai Singer – Pramod Medhi Language – Marathi Composer – Suraj Mahanand Label – Times Music Spiritual
Shirdi Sai Baba Ki Aarti Audio – साईं बाबा की आरती Audio
आरती करने की विधि
आरती करने से पहले आरती करने की सब सामग्री एकत्रित कर लीजिये। एक थाली में आरती का दिया रख कर उसमे शुद्ध कपास यानि रुई से बत्ती बना कर शुद्ध घी से दिए को बना लें। यदि शुद्ध घी उपलब्ध न हो तो तेल का प्रयोग करके आरती का दिया बना लें। इसके अलावा शुद्ध कपूर से भी आरती की जा सकती है।
आरती की थाली में पुष्प यानि फूल और भोग लगाए जाने वाले फल या मिष्ठान को भी रख सकते हैं। आरती शुरू करने से पहले शंख वादन करें। शंख की ध्वनि से वातावरण शुद्ध हो जाता है और तत्पश्चात आरती एवं पूजन करने से विशेष लाभ होता है।
आरती का उच्चारण करते समय थाली को घड़ी के कांटो की डिश में घुमाएं और भगवान् को आरती वंदना अर्पित करें। आरती का उच्चारण शुद्ध करें। हर शब्द का सही उच्चारण करे। आरती करने के साथ साथ घंटी बजाएं और आरती करने के पश्चात सभी भक्तों को आरती की थाली का दर्शन कराएं एवं भोग लगये हुए प्रसाद का वितरण करे।
साईं बाबा की आरती कब करनी चाहिए ?
साईं बाबा की आरती को रोज़ करना एक अच्छी प्रथा है, लेकिन बहुत से भक्त उनकी आरती को गुरुवार या शनिवार के दिन करने को विशेष महत्व देते हैं। गुरुवार को उनके शिरडी मंदिरों में भी भक्तों की भारी संख्या में आरती होती है, जिसमें विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इसके अलावा, कुछ लोग उनकी आरती को पूरे हफ्ते में किसी भी दिन करते हैं, जो उनकी आत्मिक नैतिकता और साधना में सहायक होता है।
साईं बाबा की आरती करने से क्या लाभ होता है ?
साईं बाबा की आरती करने से व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ाता है और मानवता, समर्थन और सच्ची श्रद्धा की भावना को बढ़ावा देता है। इसके माध्यम से भक्त अपने मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकता है और जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देख सकता है। आरती करने से भक्त का मन शांत होता है और उसे आत्मिक अनुभूति का अद्वितीय अनुभव होता है। यह साईं बाबा के प्रति श्रद्धा और प्रेम को बढ़ाता है, जो उसे जीवन की मुश्किलों में सहारा प्रदान करता है।
साईं बाबा की आरती में भोग क्या लगाएं ?
साईं बाबा की आरती में भोग समर्पित करना एक पूजनीय परंपरा है। इसमें सात्विक आहारों का उपयोग होता है, जैसे फल, मिठाई, और दूध की मिठास। धूप, दीप, और फूलों के साथ भोग साईं बाबा के आशीर्वाद की प्रतीक होता है, और इसे आरती के समय प्रदर्शित किया जाता है। भक्तों के द्वारा समर्पित किया जाने वाला यह भोग भक्ति और आत्मिक उन्नति की दिशा में सहायक होता है।
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साईं बाबा किसका अवतार है?
साईं बाबा को भक्तानुग्रह का अवतार माना जाता है, जिन्होंने सर्वधर्म समानता और सेवा के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार किया। उन्हें शिरडी के संत और आध्यात्मिक गुरु के रूप में पूजा जाता है, जो आत्मिक उन्नति का मार्गदर्शन करते हैं। साईं बाबा का अवतार विभिन्न धार्मिक समुदायों में सम्मानित है।
साईं बाबा
साईं बाबा, भारतीय संत और आध्यात्मिक गुरु थे जिनका जन्म कानपूर ज़िले के पुणे जिले के एक हिंदू-मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनका असली नाम सत्यनारायण बोरकर था, लेकिन उन्हें साईं बाबा कहा जाता है, जो “सच्चा भगवान” का अर्थ है।
साईं बाबा का आश्रम शिरडी नामक स्थान पर स्थित है, जहां उन्होंने बहुत से चमत्कारिक और अद्वितीय रूप में अपनी दिव्य लीलाएं की। साईं बाबा की शिक्षाएं धर्म, सेवा, और सच्चे भक्ति के प्रति हैं।
साईं बाबा को “सच्चे भक्त” बनाने वाले घटनाओं में से एक थी, उनकी कृपा से विशेष रूप से प्रसिद्ध हुई थी। उन्होंने भिक्षुकी भाव से जीने वालों के बीच भिक्षा बांटते हुए और उन्हें सांसारिक समस्याओं से मुक्ति की ओर प्रवृत्ति की।
साईं बाबा के बारे में गाथाएं और किस्से उनके अद्वितीय चमत्कारों की अनगिनत हैं, जो उनके भक्तों ने अपने साथ अनुभव किए हैं। उनकी आराधना में समर्थन और श्रद्धा रखने वाले लोग उन्हें अपने जीवन के मार्गदर्शक मानते हैं और उनकी उपदेशों का पालन करते हैं।
साईं बाबा की असीम प्रेम और कृपा ने उन्हें एक आध्यात्मिक आलोक में एक महान संत बना दिया है, जिनकी उपदेशों का अध्ययन और अनुसरण लाखों लोग करते हैं।