जगदीश जी की आरती (Jagdish Ji Ki Aarti)
“ॐ जय जगदीश हरे” का अर्थ होता है “ओं, हे जगदीश (विश्व के ईश्वर), हे हरे (शरणार्थी जनों के भगवान)।” यह हिन्दू धर्म का एक प्रसिद्ध भजन है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह भजन आरती का हिस्सा है और अक्सर पूजा, धार्मिक समारोह और भजन संध्या में गाया जाता है।
भगवान विष्णु हिन्दू धर्म में त्रिदेवों में से एक हैं और वे प्रमुख देवता माने जाते हैं। विष्णु जगत के सृष्टि, स्थिति, और संहार के कार्यों के लिए जाने जाते हैं।
पुराणों के अनुसार, माँ लक्ष्मी, भगवन विष्णु की अर्द्धांगिनी हैं, अतः विष्णु जी की आरती के साथ माँ लक्ष्मी जी की आरती भी करने से विशेष कृपा होती है |
जगदीश जी की आरती Lyrics | (Jagdish Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi) | Om Jai Jagdish Hare Lyrics | ॐ जय जगदीश हरे Lyrics
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
जगदीश भगवान Ki Aarti with Lyrics By Anuradha Paudwal – जगदीश भगवान जी की आरती Video Lyrics (जगदीश भगवान जी की आरती वीडियो)
Video Credits- Album: OM JAI JAGDISH HARE AARTI WITH LYRICS SINGER: ANURADHA PAUDWAL MUSIC DIRECTOR: ARUN PAUDWAL LYRICIST: TRADITIONAL ALBUM: OM JAI JAGDISH HARE (AARTI SANGRAH) Music Label: T-Series
Jagdish भगवान Ki Aarti Audio – जगदीश जी की आरती लगाइए
आरती करने की विधि
आरती करने से पहले आरती करने की सब सामग्री एकत्रित कर लीजिये। एक थाली में आरती का दिया रख कर उसमे शुद्ध कपास यानि रुई से बत्ती बना कर शुद्ध घी से दिए को बना लें। यदि शुद्ध घी उपलब्ध न हो तो तेल का प्रयोग करके आरती का दिया बना लें। इसके अलावा शुद्ध कपूर से भी आरती की जा सकती है।
आरती की थाली में पुष्प यानि फूल और भोग लगाए जाने वाले फल या मिष्ठान को भी रख सकते हैं। आरती शुरू करने से पहले शंख वादन करें। शंख की ध्वनि से वातावरण शुद्ध हो जाता है और तत्पश्चात आरती एवं पूजन करने से विशेष लाभ होता है।
आरती का उच्चारण करते समय थाली को घड़ी के कांटो की डिश में घुमाएं और भगवान् को आरती वंदना अर्पित करें। आरती का उच्चारण शुद्ध करें। हर शब्द का सही उच्चारण करे। आरती करने के साथ साथ घंटी बजाएं और आरती करने के पश्चात सभी भक्तों को आरती की थाली का दर्शन कराएं एवं भोग लगये हुए प्रसाद का वितरण करे।
जगदीश जी की आरती के बारे में
यहां “ॐ जय जगदीश हरे” के हिंदी में कुछ मुख्य बिंदुओं का सारांश है:
- सुप्रभात (मौनिक संहिता): भजन की शुरुआत “ॐ जय जगदीश हरे” से होती है, जिससे भगवान की महिमा का संग्रहण होता है।
- भक्ति और सर्वजन की रक्षा: भजन में भक्तजनों की संकटों की दूरी और सभी के संकटों के नाश के लिए प्रार्थना की जाती है।
- भगवान के गुण: भजन में भगवान के गुणों की महत्ता को बताया गया है, जैसे कि करुणा, दया, और अनंत शक्ति।
- प्रार्थना: भजन के आखिरी भाग में भक्त भगवान से अनुरोध करता है कि वह अपनी कृपा से सभी के संकटों को दूर करें और सबको आशीर्वाद प्रदान करें।
इस भजन का गायन ध्यान, शांति, और आत्मिक उन्नति की कड़ी में आता है और भक्तों को भगवान की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।
जगदीश जी की आरती कब करनी चाहिए ?
जगदीश भगवान जी की आरती का पाठ आप रोज़ाना कर सकते हैं, या फिर आपकी विशेष आस्था और परंपराओं के अनुसार आप उनकी आरती को किसी विशेष दिन को चुन सकते हैं। हिन्दू धर्म में, अनेक लोग आरती का पाठ अपने दिनचर्या का हिस्सा बनाते हैं और इसे रोज़ाना करते हैं।
जगदीश जी की आरती करने से क्या लाभ होता है ?
जगदीश भगवान जी की आरती का पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक, मानवीय, और मानसिक लाभ हो सकता है। आरती का पाठ श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है, और यह धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा बनाकर व्यक्ति को आत्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन कर सकता है।
जगदीश जी की आरती में भोग क्या लगाएं ?
जगदीश जी की आरती के दौरान भोग उपहार के रूप में प्रदान किए जाते हैं, जो आराधना में आत्मीयता और श्रद्धा की भावना को दर्शाते हैं। इसके लिए आमतौर पर फल, मिठाई, नैवेद्य, फूल, धूप, दीप, और गंध जैसी वस्तुएं उपयुक्त हो सकती हैं।
जगदीश जी की आरती के बाद किसकी आरती करें?
पुराणों के अनुसार, माँ लक्ष्मी, भगवन विष्णु की अर्द्धांगिनी हैं, अतः विष्णु जी की आरती के साथ माँ लक्ष्मी जी की आरती भी करने से विशेष कृपा होती है | इसके अलावा, कुछ लोग दुर्गा माता, शिव जी, हनुमान जी, सरस्वती माता आदि की आरती भी कर सकते हैं। यह व्यक्ति के आध्यात्मिक प्राथमिकताओं, कुल परंपराओं, और उनकी भक्ति के संबंध में निर्भर करता है।