दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa)
दुर्गा चालीसा, माँ दुर्गा की वंदना करने का एक सर्व श्रेष्ठा तरीका है। हिन्दू धर्म के अनुसार माँ दुर्गा को शक्ति की देवी माना जाता है। अतः, चालीसा के पाठ से मानसिक शक्ति मिलती है जिसके इस्तेमाल से मनुष्य भौतिक जीवन में व्याप्त दुखों, पीड़ाओं से स्वयं को पूरी शक्ति के साथ उबार सकता है।
दुर्गा जी की वंदना करने से आत्म शक्ति प्राप्त होती है जिससे व्यक्ति अधिक आत्मविश्वास के साथ जीवन में आयी विपरीत परिस्थिति का सामना डट के कर सकता है।
जैसे माँ लक्ष्मी धन ऐश्वर्या एवं समृद्धि की देवी हैं वैसे ही माँ दुर्गा शक्ति की देवी हैं जिनकी आराधना से शक्ति, ऊर्जा प्राप्त होती है।
दुर्गा चालीसा Lyrics (Durga Chalisa Lyrics in Hindi)
नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥
शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥
रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥ ४
तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ ८
रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ॥ १२
क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥
मातंगी अरु धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ १६
केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ २०
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥
रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ २४
अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥ २८
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥
शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥ ३२
शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥
आशा तृष्णा निपट सतावें ।
मोह मदादिक सब बिनशावें ॥ ३६
शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥
करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥ ४०
देवीदास शरण निज जानी ।
कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥
॥दोहा॥
शरणागत रक्षा करे,
भक्त रहे नि:शंक ।
मैं आया तेरी शरण में,
मातु लिजिये अंक ॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा ॥
Ma Durga Ki Chalisa with Lyrics By Anuradha Paudwal Video [Full Song] | DURGA JI KI CHALISA | DURGA KAWACH
Video Credits- Devi Bhajan : Durga Chalisa with Lyrics Singer: Anuradha Paudwal Composer: DURGA PRASAD Lyrics: TRADITIONAL Album: DURGA CHALISA DURGA KAWACH Music Label: T-Series
Durga Chalisa Audio – माँ दुर्गा की चालीसा लगाइए
दुर्गा चालीसा कब करनी चाहिए ?
दुर्गा चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से सुबह और शाम में व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। नवरात्रि के दौरान और मासिक दुर्गा पूजा के समय इस चालीसा का पाठ विशेष फलदायक होता है। साथ ही, माता दुर्गा के पूजन के दिनों में भी इस चालीसा का पाठ किया जा सकता है।
दुर्गा चालीसा से क्या लाभ होता है ?
दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से मनुष्य अपने जीवन की बाधाओं एवं बढ़ा रूपी शत्रुओं के ऊपर विजय प्राप्त कर सकता है, साथ ही शत्रु द्वारा उतपन्न की गयी बढ़ा एवं विघ्न का प्रभाव भी काम कर सकता है।
दुर्गा यन्त्र का क्या महत्व है?
श्री दुर्गा यंत्र में माँ दुर्गा की शक्तियों का वास होता है , दुर्गा यंत्र अपने निकट रखने से शत्रु, बुरी नज़र, टोटका एवं नेगेटिविटी से बचा जा सकता है।